वैसे भी अभियुक्त का यह स्वीकृत मामला हैं कि उसने यह राशि प्राप्त की थी।
2.
वैसे भी अभियुक्त का यह स्वीकृत मामला है कि उससे तीन हजार रू0 की राशि बरामद हुई थी।
3.
स्वयं अभियुक्त का भी यह स्वीकृत मामला है कि अकाल राहत की अवधि समाप्त हो जाने से यह चारदीवारी नहीं बनाई गई।
4.
फिर स्वयं अभियुक्त का भी यहां यह स्वीकृत मामला कि उसने छैलसिंह से दो हजार रूपये तो प्राप्त किये है लेकिन ये रूपये ओढ़ावनी के रूप में हैं।
5.
उसका यह भी स्वीकृत मामला है कि उसके हिसाब से छैलसिंह व हुकमसिंह के बीच कोई रंजिश नहीं थी और दिनों इसके घर में कोई शादी-विवाह अथवा कोई मौत नहीं हुई थी।
6.
फिर इसका यह भी स्वीकृत मामला है कि परिवादी छैलसिंह व अभियुक्त हुकमसिंह के बीच कोई रंजिश नहीं है तथा करीब 6 वर्ष पूर्व छैलसिंह के घर पर कोई शादी-विवाह अथवा मौत-गमी का मौका नहीं था।
7.
स्वयं अभियुक्त का यह स्वीकृत मामला है कि भाटों की ढ़ाणी की चारदीवारी के लिये एक लाख रूपये स्वीकृत हुये थे और सामग्री क्रय करने हेतु प्रथम किश्त के रूप में पंचायत समिति, मण्डोर द्वारा ग्राम पंचायत, बिसलपुर को बीस हजार रूपये दिये गये।
8.
स्वयं अभियुक्त का यह स्वीकृत मामला है कि वह नेखमबन्दी के लिये मौका पर गया था यानी यह नेखमबन्दी के कार्यों में सक्रिय सहयोग कर रहा था, इस कारण यहाँ यह नहीं कहा जा सकता कि नेखमबन्दी को लेकर इसके पास कोई कार्य लम्बित नहीं था।
9.
मांग सत्यापन के लिये पी. डब्ल्यू. 10 जगदीशदान परिवादी लाभुराम के साथ नाका सरकापार गया था लेकिन बचाव-पक्ष की आपराधिक प्रकरण सं0 76/2005 राज्य विरूद्ध चन्दाराम-41-प्रतिपरीक्षा में यहां इसका यह स्वीकृत मामला है कि उस रोज उसने परिवादी लाभुराम को आरोपी चन्दाराम से बातचीत करते हुये नहीं देखा था।
10.
इस साक्षी का यह भी स्वीकृत मामला है कि प्रार्थी राजूराम एवं पोकरराम उस नेखमबन्दी से सहमत नहीं हुए और दिनाँक 12. 7.2004 को परिवादी मूलाराम ने उसे एक आवेदन-पत्र पुलिस सहायता लेकर नेखम-बन्दी करने हेतु प्रस्तुत किया था जिसके लिये उसने पुलिस सहायता हेतु आपराधिक प्रकरण सं0 61/2005-30-राज्य विरूद्ध मगाराम लिखा था।